Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Jade“ , “जड़ें” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जड़ें

Jade

जड़ें कितनी गहरीं हैं

आँकोगी कैसे?

फूल से?

फल से?

छाया से?

उसका पता तो इसी से चलेगा

आकाश की कितनी

ऊँचाई हमने नापी है,

धरती पर कितनी दूर तक

बाँहें पसारी हैं।

जलहीन,सूखी,पथरीली,

ज़मीन पर खड़ा रहकर भी

जो हरा है

उसी की जड़ें गहरी हैं

वही सर्वाधिक प्यार से भरा है।

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