Hindi Poem of Sarveshwar Dayal Saxena “Surkh hatheliya“ , “सुर्ख़ हथेलियाँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुर्ख़ हथेलियाँ

 Surkh hatheliya

पहली बार

मैंने देखा

भौंरे को कमल में

बदलते हुए,

फिर कमल को बदलते

नीले जल में,

फिर नीले जल को

असंख्य श्वेत पक्षियों में,

फिर श्वेत पक्षियों को बदलते

सुर्ख़ आकाश में,

फिर आकाश को बदलते

तुम्हारी हथेलियों में,

और मेरी आँखें बन्द करते

इस तरह आँसुओं को

स्वप्न बनते –

पहली बार मैंने देखा ।

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