नदी-सा बहता हुआ दिन
Nadi sa bahta hua din
कहाँ ढूँढ़ें–
नदी-सा
बहता हुआ दिन ।
वह गगन भर धूप
सेनुर और सोना,
धार का दरपन
भँवर का फूल होना,
हाँ,
किनारों से
कथा कहता हुआ दिन!
सूर्य का हर रोज़
नंगे पाँव चलना
घाटियों में हवा का
कपड़े बदलना,
ओस
कुहरा, घाम
सब सहता हुआ दिन!
कौन देगा
मोरपंख से लिखे छन
रेतियों पर
सीप-शंखों से लिखे छन,
आज
कच्ची भीत-सा
ढहता हुआ दिन!