Hindi Poem of Shail Chaturvedi “Ek se ek badh ke“ , “एक से एक बढ़ के” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

एक से एक बढ़ के

Ek se ek badh ke

हमारे एक फ्रैंड हैं

 सूरत-शक्ल से

 बिल्कुल इंग्लैंड हैं

 एक दिन बोले-

“यार तीन लड़के हैं

 एक से एक बढ़ के हैं

 एक नेता है

 हर पाँचवें साल

 दस-बीस हज़ार की चोट देता है

 पिछले दस साल से

 चुनाव लड़ रहा है

 नहीं बन पाया सड़ा-सा एम.एल.ए.

 बोलो तो कहता है-

 “अनुभव बढ़ रहा है।”

 पालिटिक्स के चक्कर में

 बन गया पोलिटिकल घनचक्कर

 और दूसरा ले रहा है

 कवियों से टक्कर

 कविताएँ बनाता है

 न सुनो तो

 चाय पिलाकर सुनाता है

 तीसरा लड़का डॉक्टर है

 कई मरीज़ो को

 छूते ही मार चुका है

 बाहर तो बाहर

 घर वालों को तार चुका है

 हरा भरा घर था

 दस थे खाने वाले

 कुछ और थे आने वाले

 केवल पांच रह गए

 बाकी के सब

 दवा के साथ बह गए

 मगर हमारी काकी

 बड़े-बूढ़ों के नाम पर

 वही थी बाकी

 चल फिर लेती थी

 कम से कम

 घर का काम तो कर लेती थी

 जैसे-तैसे जी रही थी

 कम से कम

 पानी तो पी रही थी

 मगर हमारे डॉक्टर बेटे का

 लगते ही हाथ

 हो गया सन्निपात

 बिना जल की मछली-सी

 फडफडाती रही

 दो ही दिनों में सिकुड़कर

 हाफ़ हो गई

 और तीसरे दिन साफ़ हो गई

 दुख तो इस बात का है

 कि हमारी ग़ैरहाज़िरी में मर गई

 पाला हमने

 और वसीयत दूसरे के नाम कर गई।

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