Hindi Poem of Shiv Bahadur Singh Bhadoriya “ Dudhiya chandni fir aai”,”दूधिया चाँदनी फिर आई” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दूधिया चाँदनी फिर आई

 Dudhiya chandni fir aai

 

दूधिया चाँदनी फिर आई ।

मेरी पिछली यात्राओं के

कुछ भूले चित्र-

उठा लाई ।

मैं मुड़ा अनेक घुमावों पर,

राहें हावी थीं पाँवों पर,

फिर खनका आज यहाँ कंगन,

निर्व्याख्या है मन के कंपन,

किन संदर्भों की कथा-

काँपते तरू-पातों ने दुहराई ।

जादू-सा दिखे जुन्हैया में

सपने बरसें अँगनैया में,

त्रिभुवन की श्री मेरे आँगन-

ज्यों सागर लहरे नैया में,

नैया भी

साथ खिवैया के

छिन डूब गई, छिन उतराई ।

सुन पड़ते शब्द बहावों के,

दो पाल दिख रहे नावों के,

धारा में बह-बहकर आते-

टूटे रथ किन्हीं अभावों के,

मेरी बाँहें

तट-सी फैलीं,

नदियाँ-सी कोई हहराई ।

 

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