Hindi Poem of Shiv Bahadur Singh Bhadoriya “  Sukhe ka geet”,”सूखे का गीत” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सूखे का गीत

 Sukhe ka geet

सूख रहे धान और पोखर का जल,

चलो पिया गुहराएँ बादल-बादल।

लदे कहाँ नीम्बू या फालसे, करौंदे,

बये ने बनाए हैं कहाँ-कहाँ घरौंदे,

पपिहे ने रचे कहाँ-

गीत के महल,

ग़ज़ल कहाँ कह पाए ताल में कँवल ।

पौधों की कजराई, धूप ले गई

रात भी उमंगों के रूप ले गई;

द्वारे पुरवाई

खटकाती साँकल

आई है लेने कंगन या पायल।

इन्द्र को मनाएंगे टुटकों के बल,

रात धरे निर्वसना जोतेंगी हल;

दे जाना

तन-मन से होके निर्मल,

कोंछ भरा चबेना औ’ लोटे भर जल।

 

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