सहमते स्वर-4
Sahamte Swar 4
किसी के द्वार
बिना मनुहार
अथवा समय की पुकार के
अनमांगा दण्डकारण्य भी
फलता है
लंका का स्वर्ण
सिर्फ़ जलता है-
जलता है!
सहमते स्वर-4
Sahamte Swar 4
किसी के द्वार
बिना मनुहार
अथवा समय की पुकार के
अनमांगा दण्डकारण्य भी
फलता है
लंका का स्वर्ण
सिर्फ़ जलता है-
जलता है!