आपने जिसमें रंग भरा था, वह तस्वीर बदल गई है
Aapne jisme rang bhara tha vah trasveer badal gai he
आपने जिसमें रंग भरा था, वह तस्वीर बदल गई है
अब तो कानों-कान चलेगी, आख़िर बात निकल गई है
नीद में खोए तिफ़्ल के मुँह से रंग-बिरंगे फूल झरे
शायद पिछली भोर की लाली दीप की लौ में ढल गई है
टूटी किश्ती, दूर किनारा, सर पर है घनघोर घटा
ऐसे में तफ़ानों की नीयत भी चुपचाप बदल गई है
साहिल-साहिल शोर बया है दरिया-दरिया चर्चा है
आज किसी माँझी की शायद तूफ़ानों से चल गई है
मावस का मतलब बेटी की दुखिया माँ समझती है
भूख की मारी रात अचानक चाँद को आज निगल गई है
बाप की इज्ज़त मांग के सपनों से टकरा कर टूट गई है
ख़ून में डूबी रेल की पटरी, चीख़ हवा को चीर गई है
घटना तो कुछ ख़ास नहीं है, बात किसी की टल गई है
फूल से तन में आग लगा कर एक सुहागन जल गई है
सबने शलभ को हँसते देखा पत्थर की बौछारों में
आपके हाथ से लगने वाली फूल की पँखुरी खल गई है