अब भी
Ab bhi
छिपाने लायक कुछ भी नहीं है
फिर भी छिपाते जा रहे हैं हम
जैसे प्यार
तोड़ने लायक कुछ भी नहीं है
फिर भी तोड़ते जा रहे है हम
जैसे फूल
उठाने लायक कुछ भी नहीं है
फिर भी उठाते जा रहे हैं हम
जैसे आसमान
देने लायक कुछ भी नहीं है
फिर भी देते जा रहे हैं हम
जैसे जान
छिपाने के लिए बहुत-बहुत है नफरत
बहुत-बहुत अहंकार है तोड़ने के लिए
उठाने के लिए कम कहाँ हैं नैतिकताओं के बोझ
देने के लिए इम्तहानों की कमी कहाँ है
ज़िन्दगी में हमारी