Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “Ab bhi“ , “अब भी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अब भी

 Ab bhi

छिपाने लायक कुछ भी नहीं है

फिर भी छिपाते जा रहे हैं हम

जैसे प्यार

तोड़ने लायक कुछ भी नहीं है

फिर भी तोड़ते जा रहे है हम

जैसे फूल

उठाने लायक कुछ भी नहीं है

फिर भी उठाते जा रहे हैं हम

जैसे आसमान

देने लायक कुछ भी नहीं है

फिर भी देते जा रहे हैं हम

जैसे  जान

छिपाने के लिए बहुत-बहुत है नफरत

बहुत-बहुत अहंकार है तोड़ने के लिए

उठाने के लिए कम कहाँ हैं नैतिकताओं के बोझ

देने के लिए इम्तहानों की कमी कहाँ है

ज़िन्दगी में हमारी

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