Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Andhere ke bahar ek nigah“ , “अन्धेरे के बाहर एक निगाह” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अन्धेरे के बाहर एक निगाह

 Andhere ke bahar ek nigah

अन्धेरे के बाहर एक निगाह है

देखती हुई अन्धेरे और एकान्त के सारे दृश्य

भावनाओं के खेल में पराजित एक स्त्री

एक पराजित पुरुष का वरण कर रही है वहाँ

वहाँ अतीत की कलंक-कथाओं को भूल कर

आश्रय दे रहा है एक मन दूसरे मन को

एक शरीर दूसरे शरीर के समीप पहुँच रहा है धीरे-धीरे

उभरता हुआ अन्धेरे के बाहर की उस निगाह में

एक नए दृश्य-बंध की ओर मुड़ रही है जो

जहाँ एक प्यारे और पुराने सम्बन्ध को

अलविदा कह रहा है कोई हमेशा-हमेशा के लिए

 

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