Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Kadam ye inqilab ke“ , “क़दम ये इंक़लाब के” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

क़दम ये इंक़लाब के

 Kadam ye inqilab ke

ये गीत अधूरा है, आपके पास हो तो इसे पूरा कर दें ।

…य’ किसने कह दिया भला सितम के दिन निकल गए!

रिकाबोज़ीन है वही सवार तो बदल गए!

सुना जो आँधियों के देश में चिराग जल गए!

वतनफ़रोश भी वतन के रहनुमाँ में ढल गए!

जिसे न पढ़ सके हो तुम

न ख़ुद पे मढ़ सके हो तुम

बदल के ज़िल्द आ गए सफ़े उसी क़िताब के!

भटक न जाएँ साथियो! क़दम ये इंक़लाब के!

ये इंक़लाब के क़दम!

क़दम ये इंकलाब के!

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