क़दम ये इंक़लाब के
Kadam ye inqilab ke
ये गीत अधूरा है, आपके पास हो तो इसे पूरा कर दें ।
…य’ किसने कह दिया भला सितम के दिन निकल गए!
रिकाबोज़ीन है वही सवार तो बदल गए!
सुना जो आँधियों के देश में चिराग जल गए!
वतनफ़रोश भी वतन के रहनुमाँ में ढल गए!
जिसे न पढ़ सके हो तुम
न ख़ुद पे मढ़ सके हो तुम
बदल के ज़िल्द आ गए सफ़े उसी क़िताब के!
भटक न जाएँ साथियो! क़दम ये इंक़लाब के!
ये इंक़लाब के क़दम!
क़दम ये इंकलाब के!