Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Khatra“ , “ख़तरा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ख़तरा

 Khatra

चीते की तरह होता ही ख़तरा

गफ़लत का जायजा लेता चुपचाप

दबे पाँव सरकता है

बोलने का मौक़ा दिए बगैर

दबोच लेने को प्रस्तुत

तुम्हारी गफ़लत की गवाही देती

तुम्हारी चीख़

ख़तरे की घाटी में तब्दील हो गयी है अभी-अभी

किसी कहानी में शामिल तुम

शामिल किसी चर्चा में

किसी गप-शप में शामिल

लोगों को ख़तरे से आगाह कर रही हो अब

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.