Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Murgi kudkudai he“ , “मुर्गी कुड़कुड़ाई है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मुर्गी कुड़कुड़ाई है

 Murgi kudkudai he

मुर्गी कुड़कुड़ाई है

सहेली मुर्गी से अपने जोड़े का चर्चा कर रही है शायद

शायद मन पसंद बाँके मुर्गे के लिए कोई  पैगाम दे रही है वह

या फिर

आदमिओं की दुनिया में

बचे रहने की किसी कोशिश पर

मशविरा कर रही है भरोसेमंद सखी के साथ

की प्लेट में मसाले की खुशबू का हिस्सा बनना

अशुभ है मुर्गों के लिए

अशुभ है नाश्ते में मुर्गियों के अंडों का शामिल किया जाना

मुर्गी कुड़कड़ाई है

बिल्ली या बाज के कहीं बिलकुल पास होने का

संकेत है यह

नेवला भी हो सकता है वहाँ

साँप भी

दोनों साथ-साथ नहीं होंगे वहां

मुर्गी की आवाज़ के दायरे में

वहाँ केवल भय है

सतर्क भय केवल

अपनी बिरादरी और बच्चों को सावधान करता

मुर्गी कुड़कुड़ाई है

दाने छिड़के जा रहे हैं आस-पास

चज़ों को तालीम देने का वक़्त है यह मुर्गी के लिए

ज़िन्दगी और अनाज के सरोकार पर कुछ बोल रही है वह

मुर्गे के लिए हिदायत भी हो सकती है उसमें

कि चूजों का हिस्सा न खाए वह

 

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