Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Naap pe mere hamai bhar thi par hami se jal gye log” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नाम पे मेरे हामी भर थी पर हामी से जल गए लोग

 Naap pe mere hamai bhar thi par hami se jal gye log

नाम पे मेरे हामी भर थी पर हामी से जल गए लोग।

काश! कि मैं बदनाम न होता बदनामी से जल गए लोग।।

बज़्मे-जहाँ भी उस अत तौबा कोना-कोना छाने कौन।

मैं नाकाम थका बैठा था नाकामी से जल गए लोग।।

होती मुझमें ख़ूबी तो फिर ख़ूबी की मैं सोचता ख़ैर।

ख़ामी-ख़ामी भर हूँ पर ख़ामी से जल गए लोग।।

ख़ास-उल-ख़ास के चर्चे हर सू ख़ूब है यारो बज़्मे- आप।

ख़ासी ठंडी सीरत वाले इक आमी से जल गए लोग।।

कू-ए-बुताँ में ज़ेरे- अदालत सुबह ‘शलभ’ की पेशी थी।

मुंसिफ़ की क्या बात करो लो आसामी से जल गए लोग।।

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