नफ़रत का माहौल
Nafrat ka mahol
मुहब्बत के खिलाफ़
लामबंद तहजीब का मज़ाक जारी है
जारी है फिर भी
फूलों का खिलना
बर्फ़ का गिरना
धूप का हँसना
और अँधेरे का खिलखिलाना
पहाड़ों की रंगत बरकरार है पहले की तरह
पहले की तरह बरकरार है नदियों की रफ़्तार
झरनों की ललकार बरकरार है पहले की तरह
जानवरों की नीद में खलल पड़ रहा है इसके वावजूद
इसके वावजूद बच्चे संजीदा हुए हैं रह-रहकर
औरतें ज़रूरत से ज़्याद ख़ामोश होती गई हैं इसके वावजूद
मुहब्बत के खिलाफ़
लामबंद तहजीब का मज़ाक जारी है