Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Raste me kahi chahne vale bhi padenge” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रस्ते  में  कहीं  चाहने वाले  भी  पड़ेंगे

 Raste me kahi chahne vale bhi padenge

रस्ते  में  कहीं  चाहने वाले  भी  पड़ेंगे

दिल है तो कभी जस के लाले भी पड़ेंगे

गैरों से गले मिलके लिपटने की चाह में

अपनों  से कभी आप के पाले भी पड़ेंगे

जिस नाम के हमनाम हों उस नाम के लिए

हिस्से  में  कभी  देश  निकले  भी  पड़ेंगे 

कहते हो सफ़रे जीस्त पे निकले हो, देखना

काँटों  के  लिए  पाँवों  में  छाले  भी  पड़ेंगे

जिस घर से निकलने की ‘शलभ ‘ सोच रहे हो

लौटे  किसी  दिन  और तो  ताले  भी  पड़ेंगे

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