सज़ा
Saza
तमाशा बनने की तैयारी ख़त्म हुई
तमाशा बन गया है अब एक पूरा का पूरा आदमी |
नाराज़ लोग ख़ुश हुए सारे के सारे
दीदा-फाड़ अंदाज़ में देखते हुए उसकी ओर
लगाते हुए कहकहा
पीटते हुए ताली
अपनी-अपनी थाली बजाने लगे है अब |
तमाशा बना आदमी
बदलता है तमाशबीनों को तमाशे में
इसी तरह
बना कर दीदा-फाड़
लगवा कर कहकहा
पिटवा कर ताली
बजवा कर सबसे अपनी-अपनी थाली |
आदमी को तमाशे की शक्ल में देखने की
एक जायज और बेहतर सज़ा है यह |