तुमने कहाँ लड़ा है कोई युद्ध
Tumne kaha lada he koi yudh
कमज़ोर घोड़ों पर चढ़कर युद्ध नहीं जीते गए कभी
कमज़ोर तलवार की धार से मरते नहीं है दुश्मन
कमज़ोर कलाई के बूते उठता नहीं है कोई बोझ
भयानक हैं जीवन के युद्ध
भयानक है जीवन के शत्रु
भयानक हैं जीवन के बोझ
तुमने कहाँ लड़ा है कोई यद्ध?
कहाँ उठाई है तलवार अभी तुमनें?
कहाँ संभाला है तुमने कोई बोझ?
यथार्थ के पत्थर
कल्पना की क्यारियों को
तहस-नहस कर देते हैं।
कद्दावर घोड़ों
मजबूत तलवारों
दमदार कलाईयों के बिना
मैदान मारने की बात बे-मानी है।
आत्महत्या का रास्ता उधर से भी है
जिधर से गुजरने की नासमझ तैयारी में
रात को दिन कहने की जिद कर रही हो तुम।
युद्ध
कमज़ोर घोड़ों पर चढ़कर
कभी नहीं जीते गए