Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “  Tumne kaha lada he koi yudh“ , “तुमने कहाँ लड़ा है कोई युद्ध” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुमने कहाँ लड़ा है कोई युद्ध

 Tumne kaha lada he koi yudh

कमज़ोर घोड़ों पर चढ़कर युद्ध नहीं जीते गए कभी

कमज़ोर तलवार की धार से मरते नहीं है दुश्मन

कमज़ोर कलाई के बूते उठता नहीं है कोई बोझ

भयानक हैं जीवन के युद्ध

भयानक है जीवन के शत्रु

भयानक हैं जीवन के बोझ

तुमने कहाँ लड़ा है कोई यद्ध?

कहाँ उठाई है तलवार अभी तुमनें?

कहाँ संभाला है तुमने कोई बोझ?

यथार्थ के पत्थर

कल्पना की क्यारियों को

तहस-नहस कर देते हैं।

कद्दावर घोड़ों

मजबूत तलवारों

दमदार कलाईयों के बिना

मैदान मारने की बात बे-मानी है।

आत्महत्या का रास्ता उधर से भी है

जिधर से गुजरने की नासमझ तैयारी में

रात को दिन कहने की जिद कर रही हो तुम।

युद्ध

कमज़ोर घोड़ों पर चढ़कर

कभी नहीं जीते गए

 

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