Hindi Poem of Shlabh Shri Ram Singh “ Vah“ , “वह” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वह

 Vah

आफ़िस  के बाहर भी

आफ़िस के भीतर के आदमी से ज़्यादा ताक़तवर है वह

यहाँ तक कि आक्रामक भी

डीजल की चिंता है उसे ,चिंता है बिजली की

पानी के लिए बेचैन है वह बेपानी का पुश्तैनी तानाशाह

देखता हुआ भूत-भविष्य-वर्तमान के क्रियापदों की गड़बड़ी

बेचैन है कि खाड़ी का युद्ध उसके बिना लड़ा गया

बेचैन है की आतंकवाद बढ़ गया उसके बिना

बेचैन है कि दंगों में सीधी शिरकत नहीं रही उसकी

दुखी है कि पिछड़ा जन उसका अब नहीं रहा

नहीं रहा उसका अल्पसंख्यक समुदाय

केवल सवर्ण भी नहीं रहे अब उसके

भावी मतयुद्ध के विनिर्णय से डरा हुआ

बाहर से हँसता है भीतर-भीतर भयभीत

घर फूट जाने की आशंका से विचलित

आफ़िस के भीतर के आदमी से ज़्यादा ताक़तवर है वह

आफ़िस  के बाहर भी।

 

 

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