Hindi Poem of Shri Krishan Tiwari “ Navgeet 4”,”नवगीत – 4” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नवगीत – 4

Navgeet 4

 

कुछ के रुख दक्षिण

कुछ वाम

सूरज के घोड़े हो गए

बेलगाम

थोड़ी- सी  तेज हुई हवा

और हिल गई सड़क

लुढ़क गया शहर एक ओर

ख़ामोशी उतर गई केंचुल -सी

माथे के उपर बहने लगा

तेज धार पानी सा शोर

अफ़वाहों के हाथों

चेक की तरह भूनने लग गई

आवारा सुबह और शाम

पत्थर को चीरती हुई सभी

आवाज़ें कहीं गईं मर

गरमाहट सिर्फ राख की

जिन्दा है इस मौसम भर

ताश -महल फिर बनने लग गया

चुस्त लगे होने फिर

हुकुम के गुलाम |

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.