Hindi Poem of Shriprakash Shukal “ Asne phir number bada diya”,”उसने फिर नम्बर बदल दिया” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उसने फिर नम्बर बदल दिया

 Asne phir number bada diya

 

उसने फिर नम्बर बदल दिया

और दोस्तों को एस० एम० एस० कर दिया कि अब पुराने नम्बर को समाप्त हुआ

समझा जाय

अब यही चलेगा मेरा नम्बर

यह हरकतें अब वह अक्सर ही किया करता है

अक्सर ही लोंगों को संदेश देकर बंद कर देता है पुराना नम्बर

जैसे सुबह की हवा उसके घर में ऐसे ही आती है

पिछले को खाती हुई ।

उसे किसी भी स्थायित्व से नफ़रत है

वह नहीं चाहता कि एक ही नम्बर से वह चिपका रहे

सुनता रहे एक ही टोन बार-बार

और लोग उसे दीर्घकालिक अपेक्षाओं के दायरें में परेशान करते रहें

उसे हमेशा ही चिंता रहती है नई योजनाओं की, नई तारीखों की, नई छवियों की

नई से नई वस्तुओं की अब उसे आदत पड़ चुकी है

वह हर नए को देखता है पहली बार

एक नए जन्म की तरह!

हर नए को वह अपनी गठरी में लादे ले आता है घर में

और रात के अँधेरे में फैला देता है पृथ्वी पर

कल की रोशनी के लिए ।

अब वह इसी तरह पहचानता है अपने मनुष्य को

और थोड़ा और मनुष्य होने की ज़िद में बदलता रहता है अपना नम्बर

गोया बदलते रहना ही नए ज़माने की एक बड़ी कृतज्ञता हो!

नए से नए से नएपन की चाहत में

बहुत कुछ छूटता जा रहा है पुराना

पुरानी बातें, पुरानी यादें, पुरानी धुनें, पुराने लोग

पुरखे भी पुराने से पुराने होते जा रहे हैं ।

हर क्षण बदल रही है दुनिया

हर क्षण बदल रहा है मौसम

हर क्षण बदल रहे हैं लोग

और हर क्षण बदल रहा वह नम्बर

जिसने नम्बर लेने से इंकार कर दिया था

एक दिन!

उसने फिर नम्बर बदल दिया

 

 

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