Hindi Poem of Shriprakash Shukal “ Ghurfekan lohar”,”घुरफेकन लोहार” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

घुरफेकन लोहार

Ghurfekan lohar

 

अपने कंघे पर टँगारी को लादे जाता घुरफेकन लोहार

हमारे लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण नागरिक है

जब वह चलता हैं

हमारे लोकतंत्र का सबसे सजग पात्र चल रहा होता है

जिसकी टाँगो व टंगो में अदभुत लोच है

उसकी टंगारी से आती आवाज़

हमारे लोकतंत्र से आती आाखिरी आवाज़ है

जिसे सिर्फ़ वह जानता है

कितनी रातों से लादा है उसने इस टंगारी को

कितनी शामें गज़ारी हैं इसके नीचे

कितने जंगल में कितनी बार

इसने बसाई हैं बस्तियाँ

यह और सिर्फ़ यह घुरफेकन जानता है

यह खटिया के चूर का हिस्सा है 

घर की थूनी व थम्भा है

लगातार खुलते व बंद होते दरवाज़े का चौखठ है

जब कभी इस चौखठ में घुन लगता है

धुरफेकन हो जाता है उदास

टँगारी से उठती है एक आवाज़

यह लोहे की नहीं

हड्डी की आवाज़ है

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.