Hindi Poem of Shriprakash Shukal “ Mare hue logr”,”मरे हुए लोग” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मरे हुए लोग

Mare hue log

 

मरे हए लोगों के इस शहर में

हर आदमी अपने पुर्नजन्म को लेकर परेशान है

मरे हुए लोग

मरे हुए लोगों में शामिल नहीं हैं

उन्हें अपने मरने से परहेज है

जबकि न जाने कितने पहले वे मर चुके हैं

मरे हुए लोगों के अपने झोले हैं

अपनी टंगारी और

अपनी तगाड़ी

सिर से पाँव तक उनके पास सूचनायें हैं

और वे खुद एक सूचना हैं

हमारे समय में डाकिये की तरह

कील जब कभी चुभती है

उनके चेहरों पर खिंचता है एक तनाव 

उसे ढीला करने की वे करते हैं कोशिश

और थोड़ी देर बाद

खचिया भर मड़िया में उतराने लगते हैं

मरे हुए लोग

जीने की आशा लिए

लगातार मरते जा रहे हैं

अपनी सारी बरक्कत के बावजूद

इस पवित्र शहर में!

 

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