Hindi Poem of Sishan Saroj “Kasmasai deh fir chadhti nadi ki“ , “कसमसाई देह फिर चढ़ती नदी की ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कसमसाई देह फिर चढ़ती नदी की
Kasmasai deh fir chadhti nadi ki

कसमसाई देह फिर चढ़ती नदी की
देखिए तटबंध कितने दिन चले

मोह में अपनी मंगेतर के
समंदर बन गया बादल
सीढियाँ वीरान मंदिर की
लगा चढ़ने घुमड़ता जल

काँपता है धार से लिप्त हुआ पुल
देखिए सम्बन्ध कितने दिन चले

फिर हवा सहला गई माथा
हुआ फिर बावला पीपल
वक्ष से लग घाट के रोई
सुबह तक नाव हो पागल

डबडबाए दो नयन फिर प्रार्थना के
देखिए सौगंध कितने दिन चले

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