Hindi Poem of Subhadra Kumari Chauhan “Koyal ”, “कोयल ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कोयल -सुभद्रा कुमारी चौहान

Koyal – Subhadra Kumari Chauhan

 

देखो कोयल काली है पर,
मीठी है इसकी बोली,
इसने ही तो कूक कूक कर,
आमों में मिश्री घोली।

कोयल कोयल सच बतलाना,
क्या संदेसा लायी हो?
बहुत दिनों के बाद आज फिर,
इस डाली पर आई हो।

क्या गाती हो किसे बुलाती?
बतला दो कोयल रानी,
प्यासी धरती देख मांगती,
हो क्या मेघों से पानी?

कोयल यह मिठास क्या तुमने,
अपनी माँ से पायी है?
माँ ने ही क्या तुमको मीठी,
बोली यह सिखलायी है?

डाल डाल पर उड़ना गाना,
जिसने तुम्हें सिखाया है,
सबसे मीठे मीठे बोलो,
यह भी तुम्हें बताया है।

बहुत भली हो तुमने माँ की,
बात सदा ही है मानी,
इसीलिये तो तुम कहलाती,
हो सब चिड़ियों की रानी।

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