मेरी टेक -सुभद्रा कुमारी चौहान
Meri Tek – Subhadra Kumari Chauhan
निर्धन हों धनवान, परिश्रम उनका धन हो।
निर्बल हों बलवान, सत्यमय उनका मन हो॥
हों स्वाधीन ग़ुलाम, हृदय में अपनापन हो।
इसी आन पर कर्मवीर तेरा जीवन हो॥
तो, स्वागत सौ बार
करूँ आदर से तेरा।
आ, कर दे उद्धार,
मिटे अंधेर-अंधेरा॥