Hindi Poem of Subhadra Kumari Chauhan “Pratham Darshan”, “प्रथम दर्शन” Complete Poem for Class 10 and Class 12

प्रथम दर्शन -सुभद्रा कुमारी चौहान

Pratham Darshan – Subhadra Kumari Chauhan

 

प्रथम जब उनके दर्शन हुए,
हठीली आँखें अड़ ही गईं।
बिना परिचय के एकाएक
हृदय में उलझन पड़ ही गई॥

मूँदने पर भी दोनों नेत्र,
खड़े दिखते सम्मुख साकार।
पुतलियों में उनकी छवि श्याम
मोहिनी, जीवित जड़ ही गई॥

भूल जाने को उनकी याद,
किए कितने ही तो उपचार।
किंतु उनकी वह मंजुल-मूर्ति
छाप-सी दिल पर पड़ ही गई॥

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