Hindi Poem of Sur Das “Ek bhakti mohe bhave udhavji  , “ ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी” Complete Poem for Class 10 and Class 12

ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी

Ek bhakti mohe bhave udhavji  

 

ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी ऐसी भक्ति ।

सरवस त्याग मगन होय नाचे जनम करम गुन गावे ॥ उ०॥ध्रु०॥

कथनी कथे निरंतर मेरी चरन कमल चित लावे ॥

मुख मुरली नयन जलधारा करसे ताल बजावे ॥उ०॥१॥

जहां जहां चरन देत जन मेरो सकल तिरथ चली आवे ।

उनके पदरज अंग लगावे कोटी जनम सुख पावे ॥उ०॥२॥

उन मुरति मेरे हृदय बसत है मोरी सूरत लगावे ।

बलि बलि जाऊं श्रीमुख बानी सूरदास बलि जावे ॥उ०॥३॥

 

 

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