Hindi Poem of Sur Das “ Savre moku rengme bore bore, “सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी” Complete Poem for Class 10 and Class 12

सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी

 Savre moku rengme bore bore

 

सावरे मोकु रंगमें बोरी बोरी सांवरे मोकुं रंगमें बोरी बोरी ॥ध्रु०॥

बहीयां पकर कर शीरकी गागरिया । छिन गागर ढोरी ।

रंगमें रस बस मोकूं किनी । डारी गुलालनकी झोरी । गावत लागे मुखसे होरी ॥सा०॥१॥

आयो अचानक मिले मंदिरमें । देखत नवल किशोरी ।

धरी भूजा मोकुं पकरी जीवनने बलजोरे । माला मोतियनकी तोरी ॥सा०॥२॥

तब मोरे जोर कछु न चालो । बात कठीन सुनाई ।

तबसे उनकु नेन दिखायो मत जानो मोकूं मोरी । जानु तोरे चितकी चोरी ॥सा०॥३॥

मरजादा हमेरी कछु न राखी कंचुबोकी कसतोरी ।

सूरदास प्रभु तुमारे मिलनकू मोकूं रंगमें बोरी । गईती मैं नंदजीकी पोरी ॥सा०॥४॥

 

 

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