तुमको कमलनयन कबी गलत
Tumko kamalnayan kabi galat
तुमको कमलनयन कबी गलत ॥ध्रु०॥
बदन कमल उपमा यह साची ता गुनको प्रगटावत ॥१॥
सुंदर कर कमलनकी शोभा चरन कमल कहवावत ॥२॥
और अंग कही कहा बखाने इतनेहीको गुन गवावत ॥३॥
शाम मन अडत यह बानी बढ श्रवण सुनत सुख पवावत ।
सूरदास प्रभु ग्वाल संघाती जानी जाती जन वावत ॥४॥