Hindi Poem of Sur Das “ Tumko kamalnayan kabi galat, “ तुमको कमलनयन कबी गलत” Complete Poem for Class 10 and Class 12

तुमको कमलनयन कबी गलत

 Tumko kamalnayan kabi galat

 

तुमको कमलनयन कबी गलत ॥ध्रु०॥

बदन कमल उपमा यह साची ता गुनको प्रगटावत ॥१॥

सुंदर कर कमलनकी शोभा चरन कमल कहवावत ॥२॥

और अंग कही कहा बखाने इतनेहीको गुन गवावत ॥३॥

शाम मन अडत यह बानी बढ श्रवण सुनत सुख पवावत ।

सूरदास प्रभु ग्वाल संघाती जानी जाती जन वावत ॥४॥

 

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