Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “At nahi rahi hai ”, “अट नहीं रही है” Complete Poem for Class 10 and Class 12

अट नहीं रही है -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

At nahi rahi hai – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

अट नहीं रही है,
आभा फागुन की तन,
सट नहीं रही है।

कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम,
पर-पर कर देते हो,
आँख हटाता हूँ तो,
हट नहीं रही है।

पत्तों से लदी डाल,
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में,
मंद – गंध-पुष्प माल,
पाट-पाट शोभा-श्री,
पट नहीं रही है।

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