Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Bandho na Nav is Thanv Bandu ”, “बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु” Complete Poem for Class 10 and Class 12

बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Bandho na Nav is Thanv Bandu – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
पूछेगा सारा गाँव, बंधु!

यह घाट वही जिस पर हँसकर,
वह कभी नहाती थी धँसकर,
आँखें रह जाती थीं फँसकर,
कँपते थे दोनों पाँव बंधु!

वह हँसी बहुत कुछ कहती थी,
फिर भी अपने में रहती थी,
सबकी सुनती थी, सहती थी,
देती थी सबके दाँव, बंधु!

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.