Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Chumban ”, “चुम्बन” Complete Poem for Class 10 and Class 12

चुम्बन -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Chumban – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

लहर रही शशिकिरण चूम निर्मल यमुनाजल,
चूम सरित की सलिल राशि खिल रहे कुमुद दल

कुमुदों के स्मित-मन्द खुले वे अधर चूम कर,
बही वायु स्वछन्द, सकल पथ घूम घूम कर

है चूम रही इस रात को वही तुम्हारे मधु अधर
जिनमें हैं भाव भरे हुए सकल-शोक-सन्तापहर!

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