Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Sharan Mein Jan, Janani ”, “शरण में जन, जननि ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

शरण में जन, जननि -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Sharan Mein Jan, Janani – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

अनगिनित आ गये शरण में जन, जननि-
सुरभि-सुमनावली खुली, मधुऋतु अवनि!
स्नेह से पंक – उर हुए पंकज मधुर,
ऊर्ध्व – दृग गगन में देखते मुक्ति-मणि!
बीत रे गयी निशि, देश लख हँसी दिशि,
अखिल के कण्ठ की उठी आनन्द-ध्वनि।

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