Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Ukti ”, “उक्ति” Complete Poem for Class 10 and Class 12

उक्ति -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Ukti – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

कुछ न हुआ,
न हो,
मुझे विश्व का सुख, श्री,
यदि केवल पास तुम रहो!

मेरे नभ के बादल यदि न कटे-
चन्द्र रह गया ढका,
तिमिर रात को तिरकर यदि न अटे
लेश गगन-भास का,

रहेंगे अधर हँसते,
पथ पर,
तुम हाथ यदि गहो।

बहु-रस साहित्य विपुल यदि न पढ़ा-
मन्द सबों ने कहा,
मेरा काव्यानुमान यदि न बढ़ा-
ज्ञान, जहाँ का रहा,

रहे,
समझ है मुझमें पूरी,
तुम कथा यदि कहो।

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