Hindi Poem of Suryakant Tripathi “Nirala” “Var De Vinavadini var de”, “वर दे वीणावादिनी वर दे !” Complete Poem for Class 10 and Class 12

वर दे वीणावादिनी वर दे ! -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला

Var De Vinavadini var de – Suryakant Tripathi “Nirala”

 

वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे !

काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे !

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
नव पर, नव स्वर दे !

वर दे, वीणावादिनि वर दे।

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