Hindi Poem of Tabish Kamal “ Ajab yakeen us shakhsh ke guman me tha“ , “अजब यक़ीन उस शख़्स के गुमान में था” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अजब यक़ीन उस शख़्स के गुमान में था

 Ajab yakeen us shakhsh ke guman me tha

वो बात करते हुए भी नई उड़ान में था

हवा भरी हुई फिरती थी अब के साहिल पर

कुछ ऐसा हौसला कष्ती के बादबाँ में था

हमारे भीगे हुए पर नहीं खुले वर्ना

हमें बुलाता सितारा तो आसमान में था

उतर गया है रग-ओ-पय में ज़ाइक़ा उस का

अजीब शहद सा कल रात उस ज़बान में था

खुली तो आँख तो ‘ताबिष’ कमाल ये देखा

वो मेरी रूह में था और मैं मकान में था

 

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