Hindi Poem of Tabish Kamal “Kab Khulega ki Falak paar se aage kya he“ , “कब खुलेगा कि फ़लक पार से आगे क्या है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कब खुलेगा कि फ़लक पार से आगे क्या है

Kab Khulega ki Falak paar se aage kya he

किस को मालूम कि दीवार से आगे क्या है

एक तुर्रा सा तो मैं देख रहा हूँ लेकिन

कोई बतलाए कि दस्तार से आगे क्या है

ज़ुल्म ये है कि यहाँ बिकता है यूसुफ़ बे-दाम

और नहीं जानता बाज़ार से आगे क्या है

सर में सौदा है कि बार तो देखूँ जा कर

सर-ए-मैदान सजी दार से आगे क्या है

जिस ने इंसाँ से मोहब्बत ही नहीं की ‘ताबिश’

उस को क्या इल्म कि पिंदार से आगे क्या है

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