Hindi Poem of Tabish Kamal “ Yaki se jo guma ka fasala he“ , “यक़ीं से जो गुमाँ का फ़ासला है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

यक़ीं से जो गुमाँ का फ़ासला है

 Yaki se jo guma ka fasala he

ज़मीं से आसमाँ का फ़ासला है

हवा-पैमाई की ख़्वाहिश है इतनी

कि जितना बादबाँ का फ़ासला है

ख़यालात इस क़दर हैं मुख़्तलिफ़ क्यूँ

हमारे दरमियाँ का फ़ासला है

कोई इज़हार कर सकता है कैसे

ये लफ़्ज़ों से ज़बाँ का फ़ासला है

मैं उस तक किस तरह पहुँचूँगा ‘ताबिश’

यहाँ से इस जहाँ का फ़ासला है

 

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