Hindi Poem of Taraprakash Joshi “Mera Vetan“ , “मेरा वेतन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरा वेतन

Mera Vetan

मेरा  वेतन  ऐसे  रानी

जैसे गरम तवे पे पानी

एक कसैली कैंटीन से

थकन उदासी का नाता है

वेतन के दिन सा ही निश्चित

पहला बिल उसका आता है

हर उधार की रीत उम्र सी 

जो पाई है सो लौटानी

दफ्तर से घर तक है फैले

कर्जदाताओं के गर्म तकाजे

ओछी फटी हुई चादर में 

एक ढकु तो दूजी लाजे

कर्जा लेकर क़र्ज़ चुकाना

अंगारों से आग भुजानी

फीस,ड्रेस,कॉपिया,किताबें

आंगन में आवाजें अनगिन

जरूरतों से बोझिल उगता

जरूरतों में ढल जाता दिन

अस्पताल के किसी वार्ड सी 

घर में सारी उम्र बितानी 

अभी यह कविता अधूरी है

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.