Hindi Poem of Trilochan “Sab ka apna prakash“ , “सब का अपना आकाश” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सब का अपना आकाश

Sab ka apna prakash

हुआ सब का अपना आकाश

ढ़ली दुपहर, हो गया अनूप

धूप का सोने का सा रूप

पेड़ की डालों पर कुछ देर

हवा करती है दोल विलास

भरी है पारिजात की डाल

नई कलियों से मालामाल

कर रही बेला को संकेत

जगत में जीवन हास हुलास

चोंच से चोंच ग्रीव से ग्रीव

मिला कर, हो कर सुखी अतीव

छोड़कर छाया युगल कपोत

उड़ चले लिये हुए विश्वास

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