Hindi Poem of Tulsidas “Shri Ramchandra kripalu Bhaju Man , “श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन -तुलसीदास

Shri Ramchandra kripalu Bhaju Man -Tulsidas

 

श्री रामचँद्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्।

 नवकंज-लोचन, कंज-मुख, कर कंज, पद कंजारुणम्।।

 कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरम्।

 पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक-सुतानरम्।।

भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्य-वंश-निकंदनम्।

 रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनम्।।

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणम्।

 आजानुभुज शर-चाप-धर, संग्राम-जित-खर-दूषणम्।।

 इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन रंजनम्।

 मम् हृदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल-दल-गंजनम्।।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.