Hindi Poem of Udaybhanu Hans “Man me sapne“ , “मन में सपने” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मन में सपने

Man me sapne

हम कभी चाँद पर नहीं होते

सिर्फ़ जंगल में ढूँढ़ते क्यों हो

भेड़िए अब किधर नहीं होते

कब की दुनिया मसान बन जाती

उसमें शायर अगर नहीं होते

किस तरह वो ख़ुदा को पाएँगे

खुद से जो बेख़बर नहीं होते

पूछते हो पता ठिकाना क्या

हम फकीरों के घर नहीं होते।

 

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