Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “De de is sahsi akele ko“ , “दे दे इस साहसी अकेले को” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दे दे इस साहसी अकेले को

De de is sahsi akele ko

दे दे रे

दे दे इस साहसी अकेले को

एक बूंद।

ओ सन्ध्या

ओ फ़कीर चिड़िया

ओ रुकी हुई हवा

ओ क्रमशः तर होती हुई जाड़े की नर्मी

ओ आस पास झाड़ों झंखाड़ों पर बैठ रही आत्मीयता

कैसे? इस धूसर परिक्षण में पंख खोल

कैसे जिया जाता है?

कैसे सब हार त्याग

बार-बार जीवन से स्वत्व लिया जाता है?

कैसे, किस अमृत से

सूखते कपाटों को चीर चीर

मन को निर्बन्ध किया जाता है?

दे दे इस साहसी अकेले को।

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