Hindi Poem of Vijaydev Narayan Sahi “Suraj“ , “सूरज” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सूरज

Suraj

साधो तुमको विश्वास नहीं होगा

रोज़ सवेरे अभी भी सूरज निकलता है

गोल-गोल, लाल-लाल

उसकी बड़ी-बड़ी आँखें हैं

फूले-फूले गाल

और भोला-सा मुँह

मेरे जी में आता है

उसे गोद में ले लूँ

और स्याही से उसकी मूँछें बनाऊँ।

सारी दुनिया तो उसके ताप से

जल रही है

साधो भाई

मैं अपना यह वत्सल भाव

किसको सुनाऊँ?

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