Hindi Poranik Katha “Bheem Naglok me ”, ”भीम नागलोक में” Hindi Dharmik Katha for Class 9, Class 10 and Other Classes

भीम नागलोक में

Bheem Naglok me 

 पाँचों पाण्डव – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव – पितामह भीष्म तथा विदुर की छत्रछाया में बड़े होने लगे। उन पाँचों में भीम सर्वाधिक शक्तिशाली थे। वे दस-बीस बालकों को सहज में ही गिरा देते थे। दुर्योधन वैसे तो पाँचों पाण्डवों ईर्ष्या करता था किन्तु भीम के इस बल को देख कर उससे बहुत अधिक जलता था। वह भीमसेन को किसी प्रकार मार डालने का उपाय सोचने लगा। इसके लिये उसने एक दिन युधिष्ठिर के समक्ष गंगा तट पर स्नान, भोजन तथा क्रीड़ा करने का प्रस्ताव रखा जिसे युधिष्ठिर ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

गंगा के तट पर दुर्योधन ने विविध प्रकार के व्यंजन तैयार करवाये। स्नानादि के पश्चात् जब सभी ने भोजन किया तो अवसर पाकर दुर्योधन ने भीम को विषयुक्त भोजन खिला दिया। भोजन के पश्चात् सब बालक वहीं सो गये। भीम को विष के प्रभाव से मूर्छा आ गई। मूर्छित हुये भीम को दुर्योधन ने गंगा में डुबा दिया। मूर्छित अवस्था में ही भीम डूबते-उतराते नागलोक में पहुँच गये। वहाँ पर उन्हें भयंकर विषधर नाग डसने लगे तथा विषधरों के विष के प्रभाव से भीम के शरीर के भीतर का विष नष्ट हो गया और वे सचेतावस्था में आ गये। चेतना लौट आने पर उन्हों ने नागों को मारना आरम्भ कर दिया और एक के पश्चात् एक नाग मरने लगे।

भीम के इस विनाश लीला को देख कर कुछ नाग भागकर अपने राजा वासुकि के पास पहुँचे और उन्हें समस्त घटना से अवगत कराया। नागराज वासुकि अपने मन्त्री आर्यक के साथ भीम के पास आये। आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया और उनका परिचय राजा वासुकि को दिया। वासुकि नाग ने भीम को अपना अतिथि बना लिया। नागलोक में आठ ऐसे कुण्ड थे जिनके जल को पीने से मनुष्य के शरीर में हजारों हाथियों का बल प्राप्त हो जाता था। नागराज वासुकि ने भीम को उपहार में उन आठों कुण्डों का जल पिला दिया। कुण्डो के जल पी लेने के बाद भीम गहन निद्रा में चले गये। आठवें दिन जब उनकी निद्रा टूटी तो उनके शरीर में हजारों हाथियों का बल आ चुका था। भीम के विदा माँगने पर नागराज वासुकी ने उन्हें उनकी वाटिका में पहुँचा दिया।

उधर सो कर उठने के बाद जब पाण्डवों ने भीम को नहीं देखा तो उनकी खोज करने लगे और उनके न मिलने पर राजमहल में लौट गये। भीम के इस प्रकार गायब होने से माता कुन्ती अत्यन्त व्याकुल हुईं। वे विदुर से बोलीं, “हे आर्य! दुर्योधन मेरे पुत्रों से और विशेषतः भीम से अत्यन्त ईर्ष्या करता है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि उसने भीम को मृत्युलोक में पहुँचा दिया?” उत्तर में विदुर ने कहा, “हे देवि! आप चिन्तित मत होइये। भीम की जन्मकुण्डली के अनुसार वह दीर्घायु है तथा उसे अल्पायु में कोई भी नहीं मार सकता। वह अवश्य लौट कर आयेगा।” इस प्रकार हजारों हाथियों का बल प्राप्त कर के भीम लौट आये।

 

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