Hindi Poranik Katha “Ekdant kese kahlaye Ganesh Ji ”, ”एकदंत कैसे कहलाए गणेशजी” Hindi Dharmik Katha for Class 9, Class 10 and Other Classes

एकदंत कैसे कहलाए गणेशजी

Ekdant kese kahlaye Ganesh Ji 

 

महाभारत विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है। इसमें एक लाख से ज्यादा श्लोक हैं। महर्षि वेद व्यास के मुताबिक यह केवल राजा-रानियों की कहानी नहीं बल्कि धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की कथा है। इस ग्रंथ को लिखने के पीछे भी रोचक कथा है। कहा जाता है कि ब्रह्मा ने स्वप्न में महर्षि व्यास को महाभारत लिखने की प्रेरणा दी थी।

महर्षि व्यास ने यह काम स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्हें कोई इसे लिखने वाला न मिला। वे ऐसे किसी व्यक्ति की खोज में लग गए जो इसे लिख सके। महाभारत के प्रथम अध्याय में उल्लेख है कि वेद व्यास ने गणेशजी को इसे लिखने का प्रस्ताव दिया तो वे तैयार हो गए। उन्होंने लिखने के पहले शर्त रखी कि महर्षि कथा लिखवाते समय एक पल के लिए भी नहीं रुकेंगे।

इस शर्त को मानते हुए महर्षि ने भी एक शर्त रख दी कि गणेश भी एक-एक वाक्य को बिना समझे नहीं लिखेंगे। इस तरह गणेशजी के समझने के दौरान महर्षि को सोचने का अवसर मिल गया।

इस बारे में एक और कथा है कि महाभारत लिखने के दौरान जल्दबाजी के कारण ही श्री गणेश ने अपना एक दाँत तुड़वा लिया था। माना जाता है कि बिना रुके लिखने की शीघ्रता में यह दाँत टूटा था। तभी से वे एकदंत कहलाए। लेकिन इतनी शीघ्रता के बाद भी श्री गणेश ने एक-एक शब्द समझ कर लिखा।

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