Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Aalas ka Natija Bura” , “आलस का नतीजा बुरा” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

आलस का नतीजा बुरा

Aalas ka Natija Bura

 

 

किसी गांव में एक ब्राह्मण रहा करता था| वह बड़ा भला आदमी था, लेकिन साथ ही काम को टाला करता था| वह यह मानकर चलता था कि जो कुछ होता है, भाग्य से होता है, वह अपने हाथ-पैर नहीं हिलाता था| वह बहुत आलसी था| एक दिन एक साधु उसके घर आया| ब्राह्मण और उसकी घरवाली ने उसका खूब आदर-सत्कार किया| साधु ने खुश होकर चलते समय ब्राह्मण से कहा – तुम बहुत गरीब हो! लो मैं तुम्हें पारस पथरी देता हूं| सात दिन के बाद मैं आऊंगा और इसे ले जाऊंगा| इस बीच तुम जितना सोना बनाना चाहो, बना लेना|

 

ब्राह्मण ने पथरी ले ली| साधु चला गया| उसके जाने के बाद ब्राह्मण ने घर में लोहा खोजा, उसे बहुत थोड़ा लोहा मिला| वह उसी को सोना बनाकर बेच आया और कुछ सामान खरीद लाया|

 

अगले दिन स्त्री के बहुत जोर देने पर वह लोहा खरीदने बाजार में गया तो लोहा कुछ महंगा था| वह घर लौट आया| दो-तीन दिन बाद फिर वह बाजार गया तो पता चला कि लोहा तो अब पहले से भी महंगा हो गया है|

 

‘कोई बात नहीं|’ उसने सोचा – ‘एकाध दिन में भाव जरूर नीचे आ जाएगा, तभी खरीदेंगे|’

 

किंतु लोहा सस्ता नहीं हुआ और दिन निकलते गए| आठवें दिन साधु आया और उसने अपनी पथरी मांगी तो ब्राह्मण ने कहा – महाराज, मेरा तो सारा समय यों ही निकल गया| अभी तो मैं कुछ भी सोना नहीं बना पाया| आप कृपा करके इस पथरी को कुछ दिन मेरे पास और छोड़ दीजिए|

 

लेकिन साधु राजी नहीं हुआ| उसने कहा – तुझ जैसा आदमी जीवन में कुछ नहीं कर सकता| तेरी जगह और कोई होता तो कुछ-का-कुछ कर डालता| जो आदमी समय का उपयोग करना नहीं जानता वह कभी सफल नहीं होता| ब्राह्मण पछताने लगा, पर अब क्या हो सकता था| साधु पथरी लेकर जा चुका था| उसे अपने आलस और भाग्य पर जरूरत से ज्यादा यकीन की कीमत चुकानी पड़ी, इसलिए कहा जाता है कि आलस आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन होता है|

 

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